गरीबो के हक पर डाका, पीएम आवास के लाभ को सचिव, चपरासी लगा रहे ग्रहण
*पंचायत में कमीशन खोरी के कारण आवास निर्माण कुछ अधर में और कुछ हवा में*
अनूपपुर
जनपद पंचायत जैतहरी के ग्राम पंचायत बरगवां में इन दिनों पीएम आवास योजना के अंतर्गत व्यापक पैमाने पर अनियमितताएं और ग्राम आदिवासियों के साथ छलावा किया जा रहा है पीएम आवास योजना का लाभ उन हितग्राहियों को मिलना सुनिश्चित किया गया है जिनके द्वारा पूर्व में इंदिरा आवास योजना का लाभ नहीं लिया गया किंतु ग्राम पंचायत भृत्य विमल शर्मा और सचिव छक्के लाल राठौर के द्वारा मुंह देखी पीएम आवास की स्वीकृति की जा रही है। संबल योजना के लाभ को कंबल से ढक दिया और पीएम आवास योजना का कर दिया सर्वनाश।
सूत्रों की माने तो सचिव छक्के लाल राठौर और ग्राम पंचायत चपरासी विमल शर्मा शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं के लाभ से आदिवासी बाहुल्य ग्राम पंचायत बरगवां के आदिवासियों को उनको मिलने वाली लाभ से वंचित की जा रही। बड़ी विडंबना है कि चपरासी और सचिव के द्वारा आदिवासियों को अनाप-शनाप नियम कानून बताकर कि तुम्हारे पास वाहन है दूसरे के नाम से ट्रांसफर करो तब जाकर तुमको प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिलेगा और वही लखपति लोगों को पीएम आवास का लाभ दिया जा रहा है जिनके पास दो दो मकान दुकाने वाहन काफी मात्रा में उपलब्ध हैं और हर तरह से संपन्न है उन्हें कमीशन खोरी की आड़ लेकर पीएम आवास की स्वीकृति प्रदान की जा रही अगर जांच किया जाए तो इनके द्वारा किए जा रहे नियम विरुद्ध कार्य जिसमें ओरियंट पेपर मिल अमलाई में कार्यरत कर्मचारी और सोडा कास्टिक यूनिट में कार्य कर रहे कर्मचारियों को पीएम आवास का लाभ जम कर दिया गया यही नहीं हर परिस्थितियों में संपन्न होने के बावजूद भूमि आवंटित ना कर आदिवासियों की भूमि पर ऐसे लोगों को पीएम आवास की स्वीकृति दी गई जिनके द्वारा उनकी भूमि पर कौड़ियों के दाम खरीद कर आवास निर्माण कार्य किया जा रहा है।
ज्ञात हो कि पूर्व में कई लोगों को इंदिरा आवास योजना का लाभ प्राप्त हो चुका है किंतु इनके द्वारा पुन: उन्हीं लोगों को मुंह देखकर कमीशन खोरी में लिप्त सचिव और चपरासी जमकर शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार की इबारत लिख रहे हैं। साथ ही पीएम आवास योजना के अंतर्गत हो रहे भवन निर्माण कार्य का उपयोग दुकान खोल कर किया जा रहा है, ऐसी स्थिति में इनके द्वारा किसी भी नियम व कायदे की बात ना करते हुए नजरअंदाज किया जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक बताया जाता है कि पंचायत सचिव और चपरासी दोनों मिलकर जिन आदिवासियों को पीएम आवास स्वीकृत हुआ है प्रथम किस्त पर ही उनसे अपने कमीशन की राशि आती जाती है जिसके कारण कितने आदिवासी परिवार पीएम आवास भवन का पूर्णरूपेण निर्माण नहीं करा पाए और साथ ही कितने पीएम आवास बनने से पहले ही हवा में बन गए।
शासन प्रशासन के द्वारा गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार को उनके विकास के लिए हर स्तर पर पुरजोर ताकत के साथ उन्हें शासन के द्वारा चलाए जा रहे जन कल्याणकारी योजनाओं व सामाजिक कार्यक्रमों के माध्यम से लाभ दिलाने के लिए दिन रात मेहनत कर रही है वही इनके जैसे भ्रष्ट सचिव और चपरासी के द्वारा पलीता लगाया जा रहा है।