पत्रकार की मौत से निर्विकार, संवेदनहीन जनप्रतिनिधि, जिला प्रशासन
जिला प्रशासन, जनसंपर्क विभाग कुंभकर्णी नींद में, नहीं रहा पत्रकारों से कोई सरोकार
अनूपपुर
जिले के वरिष्ठ पत्रकार रामचन्द्र नायडू और उससे पहले चार पत्रकारों की दुखद मृत्यु के बाद भी जिला प्रशासन, जनप्रतिनिधियो, जनसंपर्क विभाग की संवेदना मृत प्राय हो गयी हैं। किसी भी निर्वाचित वर्तमान, पूर्व जनप्रतिनिधि ने मृतक पत्रकारों के शोक में दो शब्द तक बोलना उचित नहीं समझा। देश का पत्रकार चौथा स्तंभ कहलाता है। शासन प्रशासन की सारी खबरे पत्रकारों के द्वारा ही प्रकाशित की जाती हैं। अब तो शासन भी इनको फ्रंट लाइन वर्कर का दर्जा दे दिया है। इसके बाद भी इनकी पूछ परख करने वाला कोई नही है। जिले में अभी बीते माह 5 पत्रकारों की मौत हो चुकी है । उसमें केवल 1 पत्रकार त्रिनेश मिश्रा राजनगर के लिए भर शोक संवेदना जिला प्रशासन ने पत्रकारों के कहने पर जारी किया था । उसके बाद दिनेश शिवहरे अनूपपुर, संतोष गुप्ता (बेटी) जैतहरी एवं अमरकंटक के एक पत्रकार बन्धु की मौत के बाद जिला प्रशासन ने कोई भी संवेदना व्यक्त नही की शायद सभी लोग कुंभकर्णी नींद में सो रहे है।
6 जून को रामचंद्र नायडू जिला ब्यूरो नई दुनिया की मौत महामारी से बिलासपुर में हो गयी। मगर 3 दिन बीत जाने के बाद भी जिला प्रशासन और जन सम्पर्क विभाग कुंभकर्णी नींद में सो रहा है। जिला प्रशासन और जनसंपर्क विभाग को पत्रकारों से कोई नाता नही रहा। हमारे जिला मुख्यालय में बैठे जन सम्पर्क अधिकारी से ABCD कुछ भी नही आता। बस कुर्सी तोड़कर पगार भर ले रहे हैं। इनसे न तो समाचार बनाते आता और न मोबाइल कंप्यूटर चलाते। जब आज के युग मे ये सब बहुत ही जरूरी हैं जनसंपर्क अधिकारी केवल कार्यालय का उपयोग टाइम पास के लिये करते है ऐसे अधिकारियों की वजह से जनसंपर्क कार्यालय बदनाम हो रहा हैं कंप्यूटर ऑपरेटर जो खबरे बना के जारी कर दे वही खबरे बस जारी हो जाती हैं।
नेताओं, जनप्रतिनिधियो के आगे - पीछे मंडराने वाले पत्रकारों के लिये नेताओं की संवेदनहीनता स्वार्थपरता की पराकाष्ठा है। नेताओं की जी हुजूरी, चापलूसी में लगे ऐसे पत्रकारों की आंखे शायद ही खुलें। लेकिन ऐसी संवेदनहीनता स्तब्ध कर देने वाली हैं। इस मामले को लेकर जिले के समस्त पत्रकारों ने कड़ी निंदा की हैं।