भर्ती में इतना बड़ा घोटाला, कि सीएमओ को नही मालूम कि आफिस में कितने कर्मचारी


भर्ती में इतना बड़ा घोटाला, कि सीएमओ को नही मालूम कि आफिस में कितने कर्मचारी

नगर परिषद बनगवा, डोला, डूंमरकछार में भर्ती घोटाला

इंट्रो- जब जिम्मेदार ही घोटाले पर घोटाले करने लगे स्थानीय जनप्रतिनिधि देने लगे तो आप मान लीजिए की फिर जनता की  पूछ परख खत्म हो जाती है आज स्थानीय युवा रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे नवगठित नगर परिषद में पैसे लेकर पात्र हो चाहे अपात्र भर्ती कर ली गई युवाओं ने आंदोलन किया नतीजा कुछ ना निकला जिम्मेदारों ने एक सुर में कह दिया हमारे पास नहीं किसी प्रकार की जानकारी हालांकि तत्कालीन कलेक्टर ने जांच कमेटी गठित कर चलते बने लेकिन जांच कमेटी कहां है गई यह भी लोगों को आज तक पता ना चल सका !

अनूपपुर/बनगवां/डोला


अनूपपुर जिले के सबसे अंतिम छोर पर बसे बनगवां, डोला, डूमरकछार को ग्राम पंचायत से नगर पंचायत की घोषणा शिवराज सिंह चौहान ने पूर्व में की थी इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इसे रद्द  कर दी, भाजपा की सरकार आते ही शिवराज सिंह चौहान ने नगर परिषद बनाने का आदेश जारी करवा दिया फिर क्या था स्थानीय जनप्रतिनिधि सहित प्रशासन ने मिलकर जिस तरीके से खेल खेला उसमें तो मानो स्थानीय लोगों को भनक ही ना लगे भर्ती पर भर्ती चालू हुए लेकिन स्थानीय युवाओं को कहीं भी मौका ना मिला अब तो साफ तौर पर या माने जाना जाने लगा कि जब नवगठित नगर परिषद में भ्रष्टाचार की न्यू ही रख दी गई है तो विकास कैसे संभव होगा !

*नहीं किसी प्रकार से जानकारी*

बड़े आश्चर्य की बात है कि नगर परिषद में सीएमओ को अपने कर्मचारियों का ही पता नहीं है जब इस संबंध में उनसे पूछा गया कि आपके नगर परिषद में कितने कर्मचारी पदस्थ हैं और कहां-कहां पदस्थ हैं तो उन्होंने साफ कहा मैं नहीं जानता कि कितने मेरे नगर परिषद में कर्मचारी पदस्थ हैं दो-चार लोगों को छोड़ किसी प्रकार से मुझे जानकारी नहीं है हालांकि उन्होंने साफ तौर पर कहा पूरे दस्तावेज ज्वाइंट डायरेक्टर के यहां रखा हुआ है आप वहां बात कर लीजिए हम आपको किसी प्रकार से कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करा सकते ,जब नगर परिषद में कर्मचारियों की जानकारी सीएमओ को नहीं है तो फिर  नगर परिषद में किस प्रकार से कार्य होते होंगे ! इस भर्ती घोटाले को छिपाने के लिए इस तरीके से जवाब सीएमओ के द्वारा दिया जा रहा है बहरहाल मामला जो भी हो लेकिन स्थानीय  युवा रोजगार से वंचित रह गए !

*रोजगार को लेकर हुआ था आंदोलन*

नवगठित नगर परिषद में जब स्थानीय लोगों को पता चला कि पैसे लेकर नगर परिषद से बाहर के लोगों को नौकरी पर रखा जा रहा है तब स्थानीय लोगों ने इसकी जानकारी नगर परिषद से चाही गई लेकिन नगर पार्षद ने इन्हें भी गोलमाल जवाब देकर चलता कर दिया, स्थानीय लोगों ने मिलकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंप आंदोलन भी किया तत्कालीन कलेक्टर ने जांच के आदेश देते हुए एक टीम गठित की लेकिन आज तक उस टीम के द्वारा क्या जांच की गई यह भी स्थानीय लोगों को पता नहीं है कुल मिलाकर जिले में बैठे प्रशासन ने भी नगर परिषद में हुए भर्ती घोटाले का पूरा सहयोग किया जिसका नतीजा रहा युवाओं का आंदोलन भी कोई काम ना आ सका !

*आपदा में अवसर कर गए जिम्मेदार अधिकारी*

जहां एक और कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए जिला प्रशासन तैयारी करने में जुटा रहा तो दूसरी ओर नगर परिषद में भर्ती करने का सिलसिला जारी रहा इसीलिए इसकी जानकारी स्थानीय लोगों को काफी देर में मिली बताया तो यहां तक जाता है कि नगर परिषद में स्थानीय जनप्रतिनिधियों के रिश्तेदार, परिवार, दोस्त, मित्रों को नौकरी में रखे गए वहीं कई भर्तियां अच्छी खासी मोटी रकम लेकर की गई ! अगर सब कुछ सही है तो नगर परिषद अपने कर्मचारियों के नाम उजागर करने में क्यों डर रहा यह भी समझ से परे है अब लोगों की निगाह उस जांच कमेटी पर टिकी हुई है जिस जांच कमेटी को तत्कालीन कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर ने गठित किया था  !

*इनका कहना है*

मुझे किसी प्रकार से जानकारी नहीं है कि नगर परिषद में कितने कर्मचारी तैनात हैं आपको ज्वाइंट डायरेक्टर के यहां से जानकारी लेना पड़ेगा कि नगर परिषद में कितने-कितने कर्मचारी अभी भी उपस्थित है !

*राजेंद्र कुशवाहा* 

सीएमओ नगर परिषद डोला, डूमरकछार, बनगवां

कर्मचारियों की जानकारी नगर परिषद से ही मिलेगी मैं अभी तत्काल वहां के सीएमओ को बोलता हूं वह जानकारी आपको उपलब्ध कराएंगे 

मकबूल खान संयुक्त निदेशक शहडोल

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