हमारे अभिमान व स्वाभिमान पिता, इस जहाँ के धरती आसमान है पिता- सुमन

हमारे अभिमान व स्वाभिमान पिता, इस जहाँ के धरती आसमान है पिता- सुमन सोनी की कलम से

*पिता दिवस पर सुमन सोनी की एक सुंदर कविता आप लोगो के लिए समर्पित*


हमारे अभिमान व स्वाभिमान है पिता....

इस जहाँ के धरती,आसमान है पिता....

जन्म माँ ने दिया पहचान हमारे है पिता….

हर खुशियों की नेमत है हमारे पिता....


कंधे पे बिठाकर मेला दिखाते पिता… 

बनके हमारे घोड़े घुमाते है सदा पिता…

चलना सिखाती है माँ पैरों पे …

सच है पैरों पे खड़ा होना सिखाते पिता…..


रोटी,पानी,कपड़ा,मकान है पिता… 

हमारे बचपन के काव्य है पिता…

माँ है मेरी मासूम सी लोरी…

तो सम्पूर्ण वो कहानी है पिता….


स्नेह,दुलार,शाशन,अनुशासन है पिता…

कभी भाषण तो कभी मौन है पिता…

हर घर की लक्ष्मी, अन्नपूर्णा होती माँ…

विष्णु के अवतार ,अन्न दाता है पिता…. 


मेरे ख़्वाबो की पूरी जिम्मेदारी है पिता…आंसुओं में छिपे हमारे हिम्मत है पिता…

माँ ,पिता के जरुरत पे बेच दे गहने…

और परिवार के लिये खुद को बेच दे वो व्यापारी है पिता….


हमारी हंसी और खुशी के मेले है पिता…

खुद कितना तन्हा अकेला है पिता…

माँ कह देती है अपने दिल की सारी व्यथा…

सब दुःख दर्द समेटे हमारी मुस्कान की चादर  है पिता….


इसलिये तो हमारे जां से प्यारे है हमारे पिता

  जी हाँ जी हाँ , जां से भी प्यारे है पिता.....


स्वरचित :---

सुमन सोनी प्रदेश उपाध्यक्ष BPPMSS बिहार/एजुकेशनल ब्रांड एम्बेसडर यूथ इंडिया बोर्ड बिहार/ कवयित्री/ समाज सेवी 

भागलपुर बिहार

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