संकट प्रबंधन समिति के माननीयों को शराबियों की सर्वाधिक चिंता- संतोष द्विवेदी

संकट प्रबंधन समिति के माननीयों को शराबियों की सर्वाधिक चिंता- संतोष द्विवेदी


*सुबह 8:00 बजे से रात 10:00 बजे तक खुलेंगी  मदिरा दुकानें* 

उमरिया

संकट प्रबंधन  समिति के सदस्यों द्वारा कोरोना कर्फ्यू में ढील देने के क्रम में शराब और गुटके को सर्वाधिक वरीयता देने से लोग हैरान हैं उन्हें समझ नहीं आ रहा कि जब जन जीवन से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण गतिविधियों में सीमित छूट दी गई है तब शराब के लिए 14 घंटे और पान-गुटखे के लिए 8 घंटे की छूट क्यों ? क्या यहां से कोरोना के संक्रमण का खतरा नहीं है ? एक ओर रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक कोरोना कर्फ्यू लागू है, दूसरी ओर शराब दुकानों और रिसोर्ट बार के संचालन के लिए क्रमशः रात 10 और 11 बजे तक की छूट दी गई है । इन दोनों आदेशों को मिलाकर देखें तो ऐसा प्रतीत होता है कि शराबियों को रात्रिकालीन कोरोना कर्फ्यू के उल्लंघन की भी अघोषित  छूट दे दी गई है ।* 

             उल्लेखनीय है कि जिले में नोबेल कोरोना वायरस कोविड-19 के संक्रमण की दर 5 फ़ीसदी से कम होने के कारण 1 जून से कोरोना कर्फ्यू में ढील देने की प्रक्रिया आरंभ हुई है और संकट प्रबंधन समिति की सलाह के अनुसार कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने विभिन्न व्यावसायिक एवं सामाजिक गतिविधियों के सीमित संचालन के आदेश जारी किए हैं । जिसमें पान दुकान को दोपहर 12 बजे से रात 8 बजे तक, शराब दुकान को सुबह 8 बजे से रात 10 बजे तक और रिसोर्ट बार को रात 11 बजे तक संचालित किए जाने की छूट है । जबकि फल, सब्जी से लेकर किराना आदि सभी आवश्यक सेवाओं के संचालन हेतु अधिकतम 5 घंटे ही निर्धारित हैं । यही वजह है कि लोग सवाल पूछ रहे हैं कि जनता के चुने हुए नुमाइंदे चुनाव और राजस्व के फेर में जनता को बार बार संकट में क्यों डालते हैं ? 

               बांधवगढ़ विधायक शिवनारायण सिंह ने माना कि संकट प्रबंधन समिति में यह विषय आया था । चूंकि राज्य सरकार को शराब और गुटखा से सर्वाधिक राजस्व मिलता है, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए ही शराब और पान दुकान को अधिकतम छूट दी गई है । उन्होंने ये जरूर माना कि इस आदेश से कोरोना कर्फ्यू उल्लंघन की स्थिति जरूर निर्मित होगी ! इस सम्बन्ध में  मैं कलेक्टर से चर्चा करके कोई बीच का रास्ता निकालने के लिए कहूंगा । 

             एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि कलेक्टर के आदेशानुसार कोई भी रात 10 बजे तक शराब की दुकान से शराब खरीद सकता है । रात 11 बजे तक रिसोर्ट बार में शराब पी सकता है, लेकिन इसके बाद जैसे ही वह घर जाने के लिए सड़क पर आएगा, रात्रिकालीन कोरोना कर्फ्यू के उल्लंघन का गुनहगार होगा । अब पुलिस या तो उसकी दलील पर उसे छोड़ दे या उस पर कोरोना कर्फ्यू के उल्लंघन का केस दर्ज करे । उनका कहना था कि ऐसे आदेश पुलिस के लिए सरदर्द होते हैं । न वह उनका ठीक से पालन सुनिश्चित करा सकती न खुली छूट दे सकती । इस संध का ही लोग नाजायज फायदा उठाते हैं तथा पुलिस और सरकारी आदेश उपहास के पात्र बनते हैं । 

              वरिष्ठ पत्रकार और बुद्धिजीवी डॉ प्रेम नारायण सोनी ने इस पर चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि ऐसे समय में जब महामारी सर पर काल बनकर मंडरा रही हो तब हमें राजस्व की नही जानमाल की चिंता करनी चाहिए । आपने कहा कि संकट प्रबंधन समिति ने शराबियों और पान-गुटखा खाकर सड़क पर थूकने वालों के लिए तो ज्यादा दरियादिली दिखाई है, जबकि यह बेहद खतरनाक हो सकता है । दूसरी ओर धोबी और चाय दुकानों के लिए विचार ही नही किया, जो निर्णय में असंतुलन को दर्शाता है । समिति और जिला प्रशासन को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए ।

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