2 जून की रोटी न मिलने से बुजुर्ग की मौत, सरकारी रिकार्ड में उलझी वृद्ध की मौत

 2 जून की रोटी न मिलने से बुजुर्ग की मौत, सरकारी रिकार्ड में उलझी वृद्ध की मौत


उमरिया

जिला मुख्यालय उमरिया के नये बस स्टैंड में पिछले 6 दिनों से रैन बसेरे पर जीवन व्यतीत करने वाले 80 वर्षीय बुजुर्ग की विगत रात्रि मौत हो गई। घटना की सूचना पर कोतवाली पुलिस ने मर्ग करते हुए वृद्ध की मौत का कारण भूख को माना है, वही पुलिस का एक सरकारी रिकार्ड भी वृद्ध की मौत भूख से होना बता रहा है, जबकि वरिष्ठ अधिकारी मौत का कारण नशा और बीमारी को मान रहे है॥ जिसके बाद यह कयास लगाये जा रहे हैं कि किस प्रकार से राशन बांटने और फोटों सेसन कराने में व्यस्त रहने वाले समाज सेवियों और दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजना की पोल खुलकर सामने आई है

*खाट सहित कौन छोड़ गया वृद्ध को...?*

घटना के बाद बस स्टैंड में रहने वाले प्रत्यक्ष दर्शियों की माने तो बीते 26 मई की सुबह सुबह दो लोग बस स्टैंड आये थे, जो बीमार हालत में वृद्ध को रैन बसेरे में छोड़कर चलते बने, अब वह कौन हैं और किस कारण से वृद्ध की इस स्थिति को लेकर यहां अकेला छोड़कर चले गये यह तो जांच का विषय है, लेकिन कटनी जिले के अमिलिहा गांव के रहने वाले बाबूलाल सिंह का परिवार समृद्ध है॥ वही गहरवार बस संचालक अनिल सिंह की माने तो मामले को लेकर सोसल मीडिया और अन्य माध्यमों से बीमार भूखे और लावारिस वृद्ध की जानकारी साझा की गई लेकिन किसी ने सुध नही ली, उन्होंने कहा है कि कोरोना काल के इस भीषण दौर में जरुरमंदो की सेवा कम हुई और लोग फोटो खिंचवाने में अधिक ध्यान देते रहे।

*तो क्या 5 दिन से भूखा था वृद्ध..?

नये बस स्टैंड में कुली और हम्माली सहित बसों में काम करने लोगो की माने तो करीब पांच दिन से यह वृद्ध रैन बसेरे में पड़ा था, जिसकी जानकारी भी जिम्मेदारों तक पहुंचाई गई लेकिन किसी ने उसकी सुध नही ली, घटना के बाद रैन बसेरे के ठीक बगल में संचालित होने वाली दीनदयाल अंत्योदय रसोई भी है जहां कार्य करने वालों का कहना है कि बाबूलाल सिंह नामक यह वृद्ध एक दिन भी खाना खाने नही आया और किसी ने भी इसके नाम से खाना नही लिया है॥ लोगों की बात पर विस्वास न भी करें परंतु एक बात सच है कि समाज सेवियों की लिस्ट तो रसोई घर मे चस्पा है जो हर भूखे को खाना खिलाने के लिए वचन बद्ध है, परंतु वृद्ध की इस प्रकार से हुई मौत को भी नकारा नही जा सकता है॥ अब सवाल यह उठता है कि जब यह वृद्ध दीनदयाल रसोई के बगल से रह रहा था तो रसोई के संचालक की नजर इस पर क्यों नही पड़ी, या फिर 10 रुपये के लालच में इस भूखे वृद्ध को दो वक्त की रोटी नसीब नही हो सकी। अब वही पुलिस कहती है कि मौत का कारण भूख है जबकि अधिकारी इस मौत का कारण नशा और बीमारी मान रहे है। सरकार लाख दावे कर ले प्रदेश भर में कोई भी भूखा नही सोयेगा मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। बहरहाल जांच का विषय यह भी है कि लाचारी के इस दौर मे बूढ़े व्यक्ति को कौन छोड़कर चला गया और अगर वह बीमार था तो नगर पालिका तथा स्वास्थ्य विभाग ने इसकी चिंता क्यों नही की।

*इनका कहना है:-*

भूख से मरने का सवाल ही नही है, क्योंकि रैन बसेरे के बगल से नपा की दीनदयाल रसोई है जहां भूखों को खाना खिलाया जाता है और पीएम रिपोर्ट के बाद ही सच्चाई सामने आयेगी... 

*नीरज खरे, एसडीएम बांधवगढ़ उमरिया*

मृतक के परिवार वालों ने बताया है कि यह बीमार रहते थे और नशा करते थे, इसी कारण से वृद्ध की मौत हुई है भूख से मरने का सवाल ही पैदा नही होता.. 

*भारती जाट, एसडीओपी व पीआरओ पुलिस उमरिया*

मेरे द्वारा वृद्ध ही हालत को देखते हुए सोसल मीडिया और अन्य माध्यमों से सभी लोगो को सूचना दी गई थी मगर किसी ने ध्यान नही दिया और उसकी मौत हो गई.. 

*अनिल सिंह, बस संचालक उमरिया*

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