लगभग 20 करोड़ की 17 लाख 46 हजार मीट्रिक टन फ्लाई-ऐश की हेराफेरी

लगभग 20 करोड़ की 17 लाख 46 हजार मीट्रिक टन फ्लाई-ऐश की हेराफेरी



डॉ प्रेम नारायण सोनी / संतोष कुमार द्विवेदी

उमरिया

मध्यप्रदेश जनरेटिंग कम्पनी के 1340 मेगावाट के संजय गांघी ताप विद्युत गृह बिरसिंहपुर पाली में फ्लाई-ऐश घोटाला सामने आया है । जानकारों की मानें तो यह 17 लाख 46 हजार मीट्रिक टन फ्लाई-ऐश की हेराफेरी का मामला है । जिसकी कीमत फ्लाई-ऐश की विक्रय दरों के अनुसार लगभग 20 करोड़ अनुमानित है । ज्ञात हो कि सालों से चल रहा यह घोटाला मध्यप्रदेश विधानसभा को एक प्रश्न के उत्तर में दी गई जानकारी से पकड़ में आया है । यद्यपि संजय गांघी ताप विद्युत गृह के चीफ इंजीनियर हेमंत संकुले ने ऐसी किसी भी हेराफेरी से इनकार किया है।* 

               उल्लेखनीय है कि संजय गांघी ताप विद्युत गृह बिरसिंहपुर पाली में प्रतिमाह बिजली पैदा करने के लिए लगभग साढ़े पांच लाख मीट्रिक टन कोयले की ख़पत होती है । इस कोयले के जलने के बाद उससे एक तिहाई फ्लाई ऐश निकलती है, जिसका केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण के निर्देशानुसार 100 फीसदी यूटिलाइजेशन किया जाना है।

संजय गांधी ताप विद्युत गृह में औसतन दो लाख मीट्रिक टन फ्लाई ऐश जेनरेट होती है ।  जिसे मध्यप्रदेश जनरेटिंग कम्पनी द्वारा 115 रु से 124 रु प्रति मीट्रिक टन की दर से

सीमेंट प्लांटों को विक्रय किया जाता है । 

            फ्लाई ऐश के आंकड़ों में गौर करने पर करोड़ो रुपयों के घोटाले की बू आ रही है। मध्यप्रदेश जनरेटिंग कम्पनी ( जेनको ) के चार ताप विद्युत केंद्रों संजय गांधी बीरसिंहपुर, अमरकंटक चचाई, सतपुड़ा सारणी एवं संत सिंगाजी खंडवा से बिजली का उत्पादन हो रहा है । सबसे आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि प्रदेश के 3 ताप बिजली घरों में कोयले के जलने से बनी फ्लाई ऐश में जितनी मात्रा यूटिलाइज होती है बांकी बची मात्रा प्लांट के ऐश डैम में स्टोर होती है।परंतु मध्यप्रदेश जनरेटिंग कम्पनी के भ्रष्ट अधिकारियों  ने सीमेंट प्लांटो की विक्रय करके फ्लाई ऐश का शत प्रतिशत यूटिलाइजेशन किया है । जिसका परिवहन ताप  सड़क मार्ग के जरिये किया गया है । देखने वाली बात यह है कि प्लांट में फ्लाई-ऐश का स्टॉक शेष नही होने के बाद भी लाखों मीट्रिक टन फ्लाई-ऐश का स्टॉक डैम में बढ़कर दिखाया गया है, जो मुमकिन नही है । 

         दिसम्बर 2020 में यहां डैम में राख का स्टॉक 1,71,62,206 मीट्रिक टन रहा, जबकि जनवरी 21 में स्टॉक 1,72,87,000 हो गया यानी 01 लाख 24 हजार 794 मेट्रिक टन स्टॉक बढ़ा । जबकि  जनवरी 21 में कोयले की कुल खपत 5 लाख 71 हजार 769 मेट्रिक टन हुई । जिससे 2 लाख 03 हजार 836 मीट्रिक टन फ्लाई-ऐश जेनरेट हुई । जेनको के दस्तावेजी साक्ष्य बताते हैं कि उससे ज्यादा 101.21% यानि कि 2 लाख 06 हजार 302 मीट्रिक टन फ्लाई-ऐश यूटिलाइज हुई । इसका मतलब है कि स्टॉक में फ्लाई-ऐश को कोई मात्रा बची ही नहीं । फिर डैम में 1 लाख 24 हजार मेट्रिक टन राख कहाँ से आ गयी ?

           फरबरी 2021 में कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी के एक सवाल के जबाब में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह ने सदनं को बताया कि फरबरी 2021  में  5 लाख 24 हजार 401 मीट्रिक टन कोयले के जलने से 1लाख 86 हजार 100 मीट्रिक तन फ्लाई ऐश जेनरेट हुई और 99.2% अर्थात 1 लाख 85 हजार 960 मीट्रिक टन फ्लाई-ऐश यूटिलाइज हुई । शेष 140 मीट्रिक टन फ्लाई-ऐश बिजली घर के ऐश डैम में स्टॉक की गई । तब सवाल उठता है कि जनवरी 21 के स्टॉक 1,72,87,000 में 1लाख 01 हजार 150 मेट्रिक टन फ्लाई-ऐश कैसे बढ़ गयी ।

            विधानसभा में मामले के खुलासे के बाद यहाँ के जिम्मेदार अधिकारियों ने मार्च में 17 लाख 46 हजार 550 मीट्रिक टन फ्लाई-ऐश का गोलमाल किया है, जिससे फरबरी का स्टॉक 1,73,93,150 से घटकर 1,56,46,600 मीट्रिक टन हो गया । गोलमाल किये गए फ्लाई-ऐश की कीमत मौजूदा विक्रय दरों के अनुसार लगभग 20 करोड़ अनुमानित है । 

             आश्चर्यजनक तथ्य तो यह है कि 17 लाख 46 हजार मीट्रिक टन फ्लाई-ऐश के परिवहन में 50 टन परिवहन क्षमता वाले 1100 ट्रको की रोज आवश्यकता होती । यदि इतने ट्रक या हाइवा या कैप्स्यूल्स रोज लोड लेकर प्लांट से निकलते तब इस समयावधि दिखाए गए स्टॉक का परिवहन सम्भव था, जो अपने आप में अविश्वसनीय और हास्यास्पद है । 

          अप्रैल 2021 के प्रमाणित तथ्यों ने घोटाले को और उज़ागर कर दिया । इस महीने 5लाख 08 हजार 344 मीट्रिक टन कोयले से 1लाख 94 हजार 442 मीट्रिक टन फ्लाई ऐश जेनरेट हुई और 99.15% अर्थात 1लाख 92 हजार 781 मीट्रिक टन फ्लाई ऐश का यूटिलाइजेशन किया गया । जबकि मार्च के डैम स्टॉक 1,56,46,600 में मात्र  1730 मेट्रिक टन बढ़ा है । ऐश डैम का स्टॉक 1,56,48,330 मीट्रिक टन हुआ है । जबकि ऐश डैम में 1 लाख टन से ज्यादा स्टॉक बढ़ता रहा । वहीं मार्च में 17 लाख 46 हजार मीट्रिक टन घटने के साथ मात्र 1661 मेट्रिक टन बची फ्लाई ऐश से डैम स्टॉक बढ़ा। 

           कुल मिलाकर आंकड़ों के खेल में करोड़ों का वारा-न्यारा कर लिया गया और सरकार तमाशबीन बनी हुई है ।

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