मानवता अपराधी की तरह जंजीरों में जकड़कर कैद, कब मिलेगी आजादी
*पड़ोसियों को पत्थर मारकर कर रहा था घायल, पुलिस औरचिकित्सा विभाग को भी दी जानकारी*
अनूपपुर
बिजुरी नगर में मानसिक रूप से विक्षिप्त युवक को परिजनों के द्वारा शासकीय सहायता न मिलने से परेशान होकर घर में ही जंजीरों से जकड़ कर रखा गया है । जंजीरों को देखकर ऐसा लगता है जैसे वह कोई अपराधी हो लेकिन इसके अलावा परिजनों के पास और कोई रास्ता भी नहीं है । विक्षिप्त युवक के द्वारा पड़ोसियों को पत्थर मारकर घायल करने के साथ ही परिजनों को भी मारने का प्रयास किया जाता है । ऐसे में उनके पास इस उपाय के सिवा कोई रास्ता भी विक्षिप्त युवक को नियंत्रित करने के लिए नहीं बचा था ।
*लगभग 10 वर्षों से बीमार है साकिर*
बिजुरी नगर के वार्ड क्रमांक 6 निवासी 30 वर्षीय साकिर मोहम्मद बचपन से ही ऐसा नहीं था बल्कि स्नातक की पढ़ाई के दौरान मानसिक अवसाद से ग्रसित हो जाने के कारण वह इस बीमारी की चपेट में आ गया । जिसके पश्चात एसईसीएल में कार्यरत पिता के द्वारा इलाज कराया जाता रहा । तब तक वह कुछ ठीक अवस्था में था । पिता का निधन हो जाने के पश्चात घर की हालत बिगड़ने लगी इसके साथ ही इलाज के लिए रुपए का अभाव भी हो गया । जिसके कारण बीते 10 वर्षों से साकिर मानसिक बीमारी से ग्रसित है । बीच-बीच में इलाज हो जाने से वह कुछ समय के लिए ठीक भी हो जाता है । लेकिन फिर से परिजनों की बात ना मानने तथा समय पर दवाइयों का सेवन न करने से वह गंभीर रूप से इस बीमारी से ग्रसित हो चुका है ।
*पड़ोसियों को पत्थर मार कर कर देता है घायल*
लगभग 1 वर्ष पूर्व शाकिर की मानसिक स्थिति ठीक हो जाने के कारण वह अंबिकापुर में नौकरी कर रहा था । जिसके पश्चात मानसिक दौरा पड़ने पर बीते 4 महीने से वह ऐसी ही स्थिति में है । जिसके बाद परिजन उसे घर लेकर आ गए लेकिन यहां उसने पड़ोसियों को पत्थर मारकर घायल करना शुरू कर दिया । जिसके बाद मजबूरी में परिजनों को उसे जंजीरों से कैद करना पड़ा ।
*इलाज की व्यवस्था ना होने से बनी परेशानी*
इलाज के लिए शासकीय सहायता तथा मानसिक चिकित्सालय आसपास ना होने के कारण साकिर के परिजनों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है । कुछ वर्ष पूर्व तक मानसिक स्थिति ठीक थी बीच-बीच में कुछ महीने के लिए वह अस्वस्थ हो जाता था । इसी बीच पागलपन से परेशान होकर पत्नी द्वारा तलाक ले लिए जाने से वह और भी मानसिक अवसाद से ग्रसित हो गया । परिजनों द्वारा इलाज के लिए भी चिकित्सालय जाकर मदद मांगी गई लेकिन वहां कोई सहायता नहीं मिलने से परिजन भी परेशान हैं । पुलिस से सहायता मांगने पर बताया गया कि पूर्व में पागल एक्ट था जिसे समाप्त कर दिया गया । जिसके कारण अब पुलिस की जिम्मेदारी नहीं है ।