स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से करोड़ो की “प्लाज्मा थेरेपी”मशीन बनी शो पीस

स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से करोड़ो की “प्लाज्मा थेरेपी”मशीन बनी शो पीस


*आखिर क्यो स्वस्थ विभाग प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना संक्रमित रोगीयो का नही कर रहा उपचार*

रिलायंस के CSR मद से प्रदत्त करोड़ रुपए की ब्लड से परेशन मशीन (प्लाज्मा थेरेपी मशीन )से ब्लड बैंक/ज़िला चिकित्सालय, क्यूँ नही कर रहा प्लाज़्मा थेरपी के माध्यम से covid का इलाज आखिर क्यो जिला स्वास्थ अधिकारी रिलायंस से प्रदत्त करोडो की मशीन का उपयोग कोरोना से संक्ररमित मरिजो का नही कर रहे उपचार वहीं कोरोना से संक्रमित जिले मे हर रोज मर रही है जनता आखिर कौन है इन मौतों का जिम्मेदार तोआखिर कब शुरु होगी प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना संक्ररमित मरीजो का उपचार जागो जिला प्रशासन जागो ।

शहडोल

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में घातक कोरोना वायरस से लाखों लोग संक्रमित हो चुके हैं. हालांकि डॉक्टर और सरकारें इस वायरस के संक्रमण को रोकने की पूरी कोशिश कर रही हैं, लेकिन इस बीमारी का कोई इलाज अभी तक नहीं मिल पाया है. COVID 19 से लड़ने के लिए वैज्ञानिक विभिन्न टीकों, दवाओं और अन्य उपचार विधियों के साथ प्रयोग कर रहे हैं. ऐसा ही एक उपचार है प्लाज्मा थेरेपी.इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने राज्यों को प्लाज्मा थेरेपी के क्लिनिकल ट्रायल शुरू करने की अनुमति दी है. केरल, गुजरात और पंजाब जैसे राज्यों ने पहले ही COVID 19 से पीड़ित रोगियों के लिए प्लाज्मा थेरेपी शुरू की है. 100 अन्य संस्थानों ने अध्ययन के लिए रुचि दिखाई है कि इस घातक वायरस के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी कितनी सुरक्षित और कुशल है.

*कैसे काम करती है प्लाज्मा थेरेपी*

प्लाज्मा थेरेपी एक स्वस्थ व्यक्ति से बीमार व्यक्ति में इम्यूनिटी को स्थानांतरित करके रोगियों का इलाज किया जाता है. इस थेरेपी में कोरोना वायरस से ठीक हुए मरीज से गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति के इलाज के लिए एंटीबॉडी तत्वों का उपयोग किया जाता है. यह संक्रमित व्यक्ति को COVID 19 वायरस के खिलाफ आवश्यक एंटीबॉडी विकसित करने में मदद करता है. जब कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति में एंटीबॉडी स्थानांतरित होता है तब उसका इम्यून पावर बढ़ने लगता है. इससे कोरोना संक्रमण ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है.

कैसे डोनेट किया जाता है प्लाज्मा

प्लाज्मा डोनेट करना ब्लड डोनेट करने के समान है प्लाज्मा स्थानांतरित के समय ही डोनेट किया जाता है. प्लाज्मा डोनर को एक छोटे से उपकरण से जोड़ा जाता है, जो प्लाज्मा को निकाल कर रेड ब्लड सेल को उनके शरीर में वापस भेजता है. ब्लड की तुलना में प्लाज्मा को अधिक बार डोनेट किया जा सकता है. इसे सप्ताह में दो-तीन बार डोनेट किया जा सकता है. देखना ये है की ज़िले के मुखिया से इस दिशा में भी मेडिकल टीम से राय लेकर उचित कदम उठाते हैं,साथ ही साथ जो लोग पॉज़िटिव होकर ठीक हो चुके हैं उन्हें प्लाज़्मा डोनेट करने के लिए आगे आने को प्रेरित करतें है।

*क्या आप अपना प्लाजमा दान कर सकते हैं?*

कोविड-19 महामारी के दौर में आप प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं, अगर आप नीचे दिए गए सभी मापदंडों में फिट बैठते हैं।

1- कोविड-19 से संक्रमण से ठीक होने के तकरीबन दो हफ्ते बाद।

2- 18 से 60 वर्ष की आयु के बीच के व्यक्ति।

3- 50 कि.ग्रा. वजन होने के साथ-साथ किसी भी संक्रमण या अन्य बीमारियों से पीड़ित न हो।

4- हीमोग्लोबिन काउंट 8 से ऊपर हो।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पूर्व में प्रेगनेन्ट महिलाएं, कैंसर, हाइपरटेंशन, ब्लड प्रेशर, हार्ट और किडनी से जुड़ी बीमारी वाले लोग प्लाज्मा दान नहीं कर सकते हैं।COVID 19 संक्रमण का इलाज करने के लिए कॉनवलसेंट प्लाज्मा थेरेपी एक प्रयोगात्मक प्रक्रिया है. इस उपचार पद्धति में COVID19 से पूरी तरह ठीक हो चुके रोगी के खून से प्लाज्मा को निकाल कर कोरोना वायरस से गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति में स्थानांतरित किया जाता है.

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