रिटायर डीएसपी आर राजन, निरीक्षक शंखधर द्विवेदी हत्या के मामले में पहुचे जेल

रिटायर डीएसपी आर राजन निरीक्षक शंखधर द्विवेदी हत्या के मामले में पहुचे जेल


1997 में शहडोल कोतवाली हिरासत में वाराणसी के ट्रक मालिक की पुलिस अभिरक्षा में हत्या के बाद कोई हथकंडा काम नहीं आया, हत्यारोपित 25 दिन से बनारस जेल में।

शहडोल/वाराणसी

ओमप्रकाश गुप्ता की मौत 28 मार्च 97 को शहडोल कोतवाली में हिरासत में ट्रांसपोर्टर सुरेश अग्रवाल के इशारे पर तत्कालीन टी आई आर राजन,सहयोगी इंस्पेक्टर शंखधर द्विवेदी, सहयोगी पुलिस कर्मी दिग्विजय पांडेय, जगत सिंह, शेर अली आदि द्वारा गंभीर रूप से मारपीट किये जाने के कारण मौत हो गई थी। उस समय शहडोल के सभी समाचार पत्रों में यह मामला प्रमुखता से प्रकाशित हुआ था। वहाँ के राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों द्वारा भी इस हत्या का कड़ा विरोध किया गया था। हत्यारोपितों के जबरदस्त प्रभाव व मध्यप्रदेश में कांग्रेस शासन होने के कारण मेरा मुकदमा दर्ज नहीं किया गया।मजबूर होकर मैं वाराणसी न्यायालय की शरण लिया तब जाकर मेरा मुकदमा पंजीकृत हुआ।मामला पुलिस से जुड़ा होने के कारण पुलिस द्वारा फाइनल रिपोर्ट लगा दिया गया लेकिन अदालत द्वारा अस्वीकार कर दिया गया। तब हत्यारोपितों द्वारा माननीय हाईकोर्ट से स्टे प्राप्त कर लिया गया 13 साल तक यह स्टे पर रहे मामले को तरह तरह के हथकंडे अपना कर लटकाते रहे। बहस होने के बावजूद माननीय हाईकोर्ट द्वारा निर्णय नहीं दिया गया मजबूर होकर मैं माननीय सर्वोच्च  न्यायालय की शरण लिया। सिंतबर 2020 में सुनवाई हुई और माननीय न्यायालय द्वारा कड़ी आपत्ति के साथ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को तलब करते हुए पूछा गया कि अवैध पुलिस हिरासत में हुए मौत के मामले में मुल्जिमों को कैसे 13 वर्ष तक स्टे दिया गया। साथ ही मुल्जिमों को वाराणसी न्यायालय में समर्पण करने के साथ ही यथाशीघ्र 1 वर्ष में मामले के निस्तारण का आदेश दिया गया। इस आदेश को दिल्ली व वाराणसी के कई समाचार पत्रों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया।पुनः याचिका दायर कर आर राजन द्वारा राहत पाने की कोशिश किया गया पुनः यह असफल हुए। इसके बाद भी यह हथकंडे अपनाते रहे पहले वाराणसी न्यायालय में एंटीसिपेटरी बेल खारिज होने पर पुनः मुल्जिमान उच्च न्यायालय गए वहाँ कोरोना रिपोर्ट के आधार पर आर राजन द्वारा बेल लेने का प्रयास किया गया, कुछ दिन के लिए अंतरिम जमानत प्राप्त भी कर लिया गया लेकिन फाइनल सुनवाई में आर राजन,शंखधर द्विवेदी की जमानत खारिज हो गई। इन्होंने सर्वोच्च न्यायालय से जमानत लेने का प्रयास किया वहाँ भी खारिज हो गया। यह सभी आपस में साजिश कर जानबूझकर मुझे परेशान करने की नियत से अलग अलग याचिका दायर करते रहे उच्च न्यायालय को गुमराह कर शेर अली,दिग्विजय पांडेय द्वारा एंटीसिपेटरी बेल प्राप्त कर लिया गया था उन्हें भी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वाराणसी न्यायालय में समर्पण का आदेश हुआ है।

*अब जाकर 14 अप्रैल से शंखधर द्विवेदी व 15 अप्रैल से आर राजन बनारस के जेल में बंद हैं। शेष के खिलाफ वाराणसी न्यायालय द्वारा गैर जमानती वारंट जारी किया गया है।*

यह लड़ाई लड़ने में उस समय शहडोल मीडिया, राजनीतिक दल, सामाजिक संगठनों का जो सहयोग समर्थन मिला था मृतक के पुत्र ने कहा जो मुझे शहडोल की मीडिया, सामाजिक और राजनीतिक सहयोग मिला उसके लिए मैं आभारी हूँ उस समय मेरी उम्र 23 वर्ष थी और मैं ही परिवार में सबसे बड़ा था जिसके कारण परिवार की पूरी जिम्मेदारी मेरे ऊपर आ गयी अभी इस लड़ाई को अंजाम तक पहुचाने में जब तक इनको सजा न मिल जाय आपसे सहयोग, समर्थन, आशीर्वाद की अपेक्षा है। ईश्वर से यही प्रार्थना है कि सभी हत्यारोपितों की सांसें भी बनारस जेल के अंदर ही थमे। यही मेरे पूज्य पिता जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

*रिटायर्ड डी एस पी की अग्रिम जमानत मा0 सुप्रीम कोर्ट से खारिज, 45 दिन से वाराणसी जेल में*

वर्ष 1997 में फूलपुर थानान्तर्गत कुआर बाज़ार निवासी ट्रक मालिक ओमप्रकाश गुप्ता के मौत के मामले में पुत्र संजय गुप्ता द्वारा दर्ज कराए गए अपहरण व हत्या  के मामले में जिला अदालत द्वारा अग्रिम जमानत खारिज होने के पश्चात अभियुक्त आर राजन (रिटायर्ड डी एस पी शहडोल) व शंखधर द्विवेदी इंस्पेक्टर गढ़वा सिगरौली म0 प्र0 द्वारा मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद से अग्रिम जमानत प्राप्त कर लिया गया था जिसपर संजय गुप्ता द्वारा मा0 सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर किया गया जिसपर मा0 न्यायालय द्वारा पहले स्थगनादेश पारित किया गया।साथ ही सभी अभियुक्तों को मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 14 अप्रैल तक वाराणसी न्यायालय में समर्पण के लिए कहा गया।जिसके अनुपालन में 14 व 15 को दोनों अभियुक्त सी जे एम के यहाँ आत्मसमर्पण कर दिए तब से जेल में हैं।तत्पश्चात 25 मई को फाइनल सुनवाई करते हुए 4 आरोपियों का अग्रिम जमानत मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया।

2 अभियुक्त जगत सिंह व शेर अली जिला अदालत से जमानत खारिज होने के पश्चात मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद से तथ्यों को छिपाकर जमानत प्राप्त कर लिए थे जबकि पहले से उक्त प्रकरण में मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्थगनादेश था।यह दोनों भी 18 मई से जेल में है। इसी प्रकरण की अग्रिम जमानत पर फाइनल सुनवाई करते हुए मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आर राजन,शंखधर द्विवेदी, जगत सिंह व शेर अली की जमानत याचिका खारिज कर दिया गया।

वादी संजय गुप्ता का पक्ष शुरू से ही श्री दिव्येश प्रताप सिंह एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट मे रख रहे हैं। ज्ञात हो कि वर्ष 1997 में अदालत के आदेश पर मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस द्वारा आरोपियों के पक्ष में फाइनल रिपोर्ट लगा दिया गया जिसपर वादी संजय गुप्ता द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता फौजदारी श्री देवेन्द्र सिंह के माध्यम से एक प्रोटेस्ट दाखिल किया गया अदालत द्वारा संज्ञान लेते हुए तलबी आदेश जारीहुआ।

जिसपर आरोपियों को मा उच्च न्यायालय से 2007 में स्थगनादेश मिल गया तब से सभी आरोपी स्थगनादेश पर ही थे।उच्च न्यायालय में बहस होने के बावजूद आदेश नहीं हुआ तब विवश होकर वादी द्वारा मा0 सुप्रीम कोर्ट में 2018 में याचिका दायर किया गया 23 सिंतबर 2020 को मा0 सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्टे खारिज कर दिया गया। कड़ा रुख अपनाते हुए मा0 उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को कारण बताने के लिए कहा गया कि क्यों 13 साल तक अवैध हिरासत में मौत के मामले में स्टे दिया जाता रहा।साथ ही आरोपियों को स्थानीय अदालत में हाजिर होने व 1 वर्ष के भीतर नियमित सुनवाई करते हुए फैसले का आदेश स्थानीय अदालत को दिया गया।

मा0 सुप्रीम कोर्ट में वादी का पक्ष श्री दिव्येश प्रताप सिंह शुरू से ही रख रहे हैं। यह प्रकरण आरोपियों के विभिन्न हथकंडों, प्रभाव, रसूख के चलते लटकता रहा। जबसे मा0 सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में आया है अभी तक मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा सभी आदेश आरोपियों के खिलाफ हुए हैं। आरोपी तरह तरह के हथकंडे अपनाते रहे आरोपी आर राजन द्वारा पूर्व में कोरोना पॉजिटिव के आधार पर मा0 उच्च न्यायालय से जमानत पा गया था।केश को ट्रांसफर करने के लिए मा0 सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया था जो कि खारिज हो गया।

मुख्य आरोपी शंखधर द्विवेदी जो कि वर्तमान में इंस्पेक्टर गढ़वा सिंगरौली म0प्र0 है 5 दिन कि छुट्टी लेकर आया और यहां जेल चला गया लेकिन विभागीय अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं थी।5 दिन बीत जाने के बाद इसको अनुपस्थित दिखाया जाता रहा और विभागीय अधिकारी पता कर रहे थे तब कही से जाकर पता चला कि यह बनारस जेल में है आनन फानन में यह निलंबित कर दिया गया है।  

वादी संजय गुप्ता को न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और मा0 उच्चतम न्यायालय के आदेश से न्याय की उम्मीद जग गई है।

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