शहर से गांव का सफर, लापरवाही से कोरोना साबित हो रहा जानलेवा- मनोज द्विवेदी

शहर से गांव का सफर, लापरवाही से कोरोना साबित हो रहा जानलेवा- मनोज द्विवेदी


*पहले सप्ताह की सावधानी से बच सकती है मरीजों की जान* 

अनूपपुर 

मई 2021 के तीसरे सप्ताह में पहुंचते - पहुंचते जिले में भले ही कोरोना संक्रमितों की संख्या में कमी दिख रही हो, ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की लापरवाही जानलेवा साबित हो रही है। आज प्रात: लगभग 10 बजे रोज की तरह मैंने अपने परिचितों की सेहत, कुशल - क्षेम जानने के लिये पुष्पराजगढ क्षेत्र के तुलरा गाँव के निवासी मेरे एक मित्र को फोन लगाया तो उन्होंने बीमार होने की जानकारी दी। उन्हे तत्काल राजेन्द्रग्राम स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती करके आक्सीजन लगा कर इलाज शुरु हुआ। आक्सीजन लगाने के बाद भी दशा में सुधार ना होता देख कलेक्टर चन्द्रमोहन ठाकुर , सीएमएचओ डा एस सी राय, कोविड प्रभारी डा आर पी श्रीवास्तव से चर्चा उपरान्त उन्हे तत्काल जिला चिकित्सालय के आईसीयू में गंभीर हालत में भर्ती कराया गया। वहाँ उनका इलाज जारी है। 

  इस दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में मामले तेजी से बिगड़ने और कोरोना के संक्रामक / घातक होने के कारणों की चर्चा विषय विशेषज्ञों और कुछ जमीनी अधिकारियों ने बतलाया कि सरकार के स्पष्ट निर्देश हैं कि सघनता से कोविड टेस्ट किया जाए। आज ही कलेक्टर ने दो टूक निर्देश दिये हैं कि प्रतिदिन 1000 से ऊपर कोविड परीक्षण किया जाए। परीक्षण उपरान्त जो लोग निगेटिव आते हैं, कई बार उन्हे बुखार ,खांसी, शरीर दर्द या अन्य लक्षण हों तो तुरन्त डाक्टर या अस्पताल से संपर्क कर आवश्यक दवाओं के किट प्राप्त करके उपचार लेना प्रारंभ कर देना चाहिए।

लेकिन गाँव स्तर पर लोग लापरवाही कर रहे हैं। सर्दी, खांसी, बुखार, सांस फूलना, कमजोरी को साधारण वायरल बुखार , टाइफाइड आदि मान कर गाँव स्तर पर इलाज करवाने में 8-10 दिन निकाल देते हैं। जिसके बाद कोरोना ज्यादा संक्रामक ,अधिक घातक होकर फेफड़ों को संक्रमित कर रहा है। बीमार होने के पहले सप्ताह में ही डाक्टर्स से तत्काल संपर्क कर लेने पर मरीज जल्दी स्वस्थ हो रहे हैं । जबकि दूसरे- तीसरे सप्ताह में मरीज की जान खतरे में पड जाती है। 

 ऐसे में चिकित्सा से जुडे जानकारों का मानना है कि निम्नलिखित बिन्दुओं को ध्यान से पढ कर सभी व्यक्ति को इस पर अमल करने की कोशिश करना होगा‌। जानकार सूत्रों के अनुसार मामले बिगडने के निम्न कारण हैं ---

*1. बीमारी को पहचानने में देरी।*

*2. बीमारी को स्वीकार करने में देरी।*

*3. इलाज शुरू करने में देरी।*

*4. कोरोना (RTPCR) टेस्ट कराने में देरी।*

*5. लक्षण होने के बावजूद टेस्ट रिपोर्ट का इंतजार करना और तुरंत इलाज शुरू नही करना।*

*6. बीमारी की गंभीरता को समझने में देरी।*

*7. दवाइयों से डर के कारण सारी दवाइयां खाने के बजाय आधी अधूरी दवाइयां खाना।*

*8. पांचवे या छठे दिन तबियत ज्यादा खराब होने पर भी CT और ब्लड टेस्ट नहीं कराना।*

*9. दूसरे स्टेज का ट्रीटमेंट (स्टीरॉयड) छठे दिन से शुरू नही करना और इसमें देरी करना।*

*10. Steroid की अपर्याप्त डोज लेना।*

*11. साथ में anticoagulent (खून पतला करने और खून में थक्का बनाने से रोकने की दवा) न लेना।*

*12. ऑक्सीजन लेवल नापने में लापरवाही के कारण ऑक्सीजन लेवल गिरने (Hypoxia) को समय से पकड़ न पाना।*

*13. ऑक्सीजन गिरने पर अस्पताल पहुंचने में देरी।*

*14. छठे दिन HRCT टेस्ट में 15/25 या उससे ऊपर का स्कोर आने पर भी घर में इलाज और तुरंत अस्पताल में भर्ती हों कर intravenous (इंजेक्शन से) ट्रीटमेंट न लेना।*

*सब को यह ध्यान रखना होगा कि ....*👉 *पहला हफ्ता आपके हाथ में।*👉 *दूसरा हफ्ता आपके डॉक्टर के हाथ में* और 👉 *तीसरा हफ्ता भगवान के हाथ में।*

*आप निर्णय लें कि आप अपनी जिंदगी की बागडोर किसके हाथ में देना चाहते हैं...*

😷🙏


Let's break the chain...🙏🙏🙏

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