कोरोना, लॉकडाउन, मिलावट और मंहगाई घटिया खाद्य सामग्री लुटने को मजबूर गरीब
कोयलांचल क्षेत्र में खाद्य तेल के कीमत आसमान पर कई ब्रांडों के तेलों में खेल लोगों के सेहत से खिलवाड़*
अनूपपुर/कोतमा
कोयलांचल एंव नगर सहित गांवों में खाद्य तेल के मामले मे महंगाई बेकाबू होती दिखाई दे रही है, हालत यह है कि बीते 2 माह में ही तेल के दाम मे 40 रुपये लीटर तक का इजाफा हो चुका है। तेल के दाम मे तेजी मांग व पूर्ति में अंतर होने सहित नगर के कुछ व्यापारियों के गोदामों में स्टॉक कर लेने से बताई जा रही है। फिलहाल दाम के कम होने के आसार दिख भी नही रहे हैं।
रिटेल मे सरसों से लेकर रिफाइन तेल सभी रिकार्डों को तोड़ते हुए 140 से 160 रुपये लीटर तक बाजार मे बिक रहा है। जिसमें कई नकली ब्रांडों के तेलों को भी इसी भाव पर क्षेत्र की जनता तेल समझ कर खरीदने को मजबूर है।
*कोयलांचल के दुकानों में एक ही ब्रांड के तेल केअलग-अलग दुकानों में अलग-अलग दाम*
सरकार नागरिकों को शुद्ध खाद्य सामग्री मिल सके जिसको लेकर पैकिंग एक्ट लागू करने के पीछे केंद्र और राज्य सरकार की मंशा यही है कि आम उपभोक्ताओं को शुद्ध और सही नाप का तेल मिले। उपभोक्ता व्यापारियों द्वारा की जाने वाली ठगी से बच सके, किंतु कोयलांचल में तो ठीक इसके विपरीत लंबे समय से यही हो रहा है। मप्र सरकार के स्वास्थ्य-नापतौल विभाग के उच्च अधिकारी, इंस्पेक्टर कोयलांचल क्षेत्र के किसी भी किराना दुकान पर चले जाएं, पैकिंग खाद्य तेल खरीद लें। कोयलांचल में, 2-4 राष्ट्रीय स्तर की कुछ कंपनियां होंगी, जो शुद्ध तेल और पूरा वजन दे रही हैं। शेष 95 प्रतिशत पैकिंग में एक लीटर की बॉटल में 910 मिलीलीटर अर्थात् 10 प्रतिशत कम, 100 ग्राम में 91 एमएल, 200 ग्राम में 180 एमएल, 500 ग्राम में 450 एमएल तेल बेचा जा रहा है। 15 किलों के टिन में 13.650 ग्राम खाद्य होना चाहिए किंतु बड़े टिनों में 11-12 किलो तेल निकलता है। डिब्बे की वजह बढ़ाने के लिए ऊपर-नीचे पैकिंग किया जाता है, वह भारी होता है, अर्थात् पैकिंग मटेरियल खाद्य तेल के भाव बेचा जा रहा है। इनमें तेल की क्वालिटी क्या होती होगी, यह बताना भी मुश्किल है। कुछ व्यापारियों के अनुसार वजन के मामले में कई ब्रांडो की साख भी खराब है।
*सूत्र कोयलांचल में पैकिंग करने वालों की भरमार*
जिले के कोयलांचल क्षेत्र में कोतमा, बिजुरी, भालुमडा,सहित आसपास के क्षेत्र में अर्थात् प्रत्येक 100 से 50 किलोमीटर की दूरी पर पैकिंग करने वालों ने फैक्टरियां लंबे अरसे से स्थापित कर तेल में खेल कर रहे हैं यह गौरखधंधा शुरू करवाने का श्रेय कहीं ना कहीं खाद्य सुरक्षा एक्ट एवं नापतौल विभाग को भी जाता है। इसी वजह से पैकिंग का चलन बढ़ा और कम वजन और घटिया किस्म का तेल बॉटल धड़ल्ले से कोयलांचल के शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में बिना रोक-टोक बिकने लगा।
नकली सरसों तेल जादा खतरनाक
सबसे अधिक उल्लेखनीय यह है कि सरसों तेल का भाव थोक में थोड़ी बड़े है। जिसको लेकर कोयलांचल के शहर से ग्रामीण क्षेत्रों के दुकानों में मिलावटी कई ब्रांड के तेल 140 से 150,रुपए लीटर में बेचकर ये व्यापारी आम जनता की सेवा कर रहे हैं। कोयलांचल क्षेत्रों में करीब सैकड़ों तेल के ब्रांड क्षेत्रीय कंपनीयों द्वारा बेचे जा रहे हैं जिनका ना सही नाम और कोई पता नहीं है। ऐसे निर्माता एवं व्यापारियों के सामने कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। सरसों तेल के निर्माता सरसों तेल के नाम पर कुछ भी मिल जाए, उत्पाद तैयार कर बाजार में पेश करने के लिए निर्भिक रूप से तैयार रहते हैं जिसे आम आदमी अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई से खरीदता है।
*अधिकांश तेल पैक कर रही कंपनियों के पास नहीं कोई लेबोरेटरी*
बताया जाता है की सरकार द्वारा तेल प्लांटों से भी कहा गया है कि खाद्य तेल ऐसे व्यापारियों को ही विक्रय करें, जिनके पास पैकिंग का लायसेंस हो। पैकिंग की व्यवस्था करने में छोटे व्यापारियों को लगभग 5 लाख के करीब खर्च करना पड़ते हैं, जिनमें पाउच पैकिंग हो जाती है और एक कमरे में कारखाना शुरू हो जाता है। 15 किलो के टिन को छोटे पैकिंगकर्ता सीधे टंकी के नल से ही भर देते हैं। उल्लेखनीय यह है कि पैकिंग लायसेंस के साथ अन्य शर्तों के अलावा खाद्य तेल की जांच के लिए लेबोरेटरी भी होना जरूरी है। कोयलांचल क्षेत्र में एफएसएसएआय के नियमों की खुल्ली धज्जियां उड़ रही हैं। क्षेत्र के अधिकतर पैकिंगकर्ताओं के यहां खाद्य तेल की जांच की व्यवस्था नहीं होगी। अत: पैकिंग में कौन-सी क्वालिटी का खाद्य तेल भरा जा रहा है, इसका कोई प्रमाण नहीं होता है। मनपसंद प्लांटों से सस्ता तेल लाना और भरकर बेचना यही एकमात्र उद्देश्य रह गया है। इस उद्देश्य के पीछे बड़ा राज छिपा हुआ है जिसको प्रशासन गंभीरता से संज्ञान में लेकर सख्त कार्यवाही करें जिससे खुलेआम लोगों की सेहत के साथ हो रहे खिलवाड़ पर रोक लगाई जा सके।