शासकीय उचित मूल्य की दुकान के विक्रेता पर 12 लाख के गबन पर मामला पंजीबद्ध

शासकीय उचित मूल्य की दुकान के विक्रेता पर 12 लाख के गबन पर मामला पंजीबद्ध


12 लाख 51 हजार 528 रूपए के खाद्यान्न की कालाबाजारी का आरोप

अनूपपुर/राजेन्द्रग्राम


गरीबो को वितरित किए जाने वाले खाद्यान्न की कालाबाजारी करने के मामले में शासकीय उचित मूल्य की दुकान करौंदापानी के विक्रेता सुखसेन सिंह मरावी के विरूद्ध 27 मार्च की देर शाम राजेन्द्रग्राम थाना में धारा 406, 409, 420 एवं आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3 व 7 के खिलाफ मामला पंजीबद्ध किया गया है। जिन पर 12 लाख 51 हजार 528 रूपए के शासकीय खाद्यान्न को खुर्द-बुर्द कर गबन किए जाने का आरोप लगा है। वैसे तो जिले के कई शासकीय उचित मूल्य की दुकानो में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत बांटे जाने वाले खाद्यान्न को खुर्द-बुर्द करने में विक्रेता द्वारा वेयर हाउस एवं नॉन के अधिकारियों-कर्मचारियों सहित परिवहनकर्ता की मिलीभगत होती है, लेकिन पूरे मामले में जांच अधिकारी द्वारा बाकी लोगो को छोड़ उन्हे अभयदान दे दिया जाता है।

मामले की जानकारी देते हुए जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी अंबोज श्रीवास्तव ने बताया कि 28 फरवरी को अनुविभागीय अधिकारी पुष्पराजगढ़ द्वारा शासकीय उचित मूल्य की दुकान करौंदापानी के भ्रमण के दौरान उपभोक्ताओं को बुलाकर जांच किया गया। जहां कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी पुष्पराजगढ़ कुंजाम सिंह राजपूत ने जांच की गई। इस दौरान विक्रेता द्वारा कोरोनाकाल में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के माध्यम से गरीबो के लिए 8 माह का खाद्यान्न नि:शुल्क वितरण करना था, लेकिन विक्रेता सुखसेन सिंह मरावी द्वारा मात्र चार माह का खाद्यान्न उपभोक्ताओं को बांटा गया तथा चना दाल केवल दो माह का प्रति किलो प्रति कार्ड की मान से नि:शुल्क दिया गया, शेष 6 माह की कोरोना काल का राहर दाल, चना दाल व खड़ा चना नही दिया गया, लेकिन विक्रेता ने उपभोक्ताओं के पीओएस मशीन में पूरे माह का अगूंठा लगवा लिया। इसके साथ ही विक्रेता द्वारा एएवाई कार्डधारियों को शक्कर कभी दिया ही नही गया जबकि शासन ने एएवाई कार्ड में एक किलो शक्कर की पात्रता प्रतिमाह दी गई है। वहीं दुकान में उपलब्ध खाद्यान्न के स्टॉक की जांच की गई जिसमें 148.91 क्विंटल गेहूं, 150.53 क्विंटल चावल, 3.10 क्विंटल शक्कर, 4.37 क्विंटल चना, 2.29 क्विंटल नमक सहित 1424.50 लीटर कैरोसीन मिला, जो वास्तविक स्टॉक से कम मात्रा में खाद्यान्न रहा। जहां कुल मिलाकर 12 लाख 51 हजार 528 रूपए का भ्रष्टाचार मिला, जो विक्रेता से भू-राजस्व के रूप में वसूली योग्य है। 

इसके साथ ही जांच में शासकीय उचित मूल्य की दुकान करौंदापानी के विक्रेता द्वारा माह में तीन से चार दिन दुकान खोले जाने, विक्रेता द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के नियंत्रण आदेश 2015 के निर्देश के बावजूद किसी भी उपभोक्ता को पीओएस मशीन की प्रिंटेड रसीद नही दिए जाने तथा अनियमितता के संबंध में विक्रेता द्वारा कोई स्पष्ट जानकारी नही दिए जाने, जांच के समय स्टॉक पंजी प्रस्तुत नही किए जाने पर विक्रेता पर म.प्र. सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश 2015 की कंडिका 10(4), 11 (1)(2)(3)(6)(8)(9) एवं 18 तथा प्राधिकार पत्र की शर्त क्रमांक 10, 16, 19, 28 व 29 का उल्लंधन कर आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 तथा प्राधिकार पत्र के तहत दंडनीय पाए जाने के साथ ही 12 लाख 51 हजार 528 रूपए के शासकीय खाद्यान्न को खुर्द-बुर्द कर गबन किया गया।

Labels:

Post a Comment

MKRdezign

,

संपर्क फ़ॉर्म

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.
Javascript DisablePlease Enable Javascript To See All Widget