दबंग पब्लिक प्रवक्ता

सड़क पर बना मौत का गड्ढा, लगातार हो रही है दुर्घटना, कॉलरी प्रबंधन व नगर परिषद की लापरवाही

*कोयला वाहनो से हो रही है सड़क खराब*


अनूपपुर

बिजुरी से मनेन्द्रगढ़ मार्ग पर स्थित डोला तिराहा की सड़क नहीं, बल्कि यह नगर परिषद डोला और कॉलरी प्रबंधन की घोर आपराधिक अनदेखी का खुला प्रमाण है। गहरे और चौड़े गड्ढों में तब्दील यह व्यस्त तिराहा हर दिन दुर्घटनाओं को न्योता दे रहा है। दोनों ही जिम्मेदार संस्थाओं की इस लापरवाही के कारण कभी भी कोई बड़ी जनहानि या सामूहिक दुर्घटना होने की आशंका प्रबल हो गई है और जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी से पलडा झाड़ते दिखाई दे रहे हैं।

बिजुरी-मनेन्द्रगढ़ मार्ग पर स्थित डोला तिराहा की सड़क नहीं, बल्कि यह नगर परिषद डोला और कॉलरी प्रबंधन की घोर आपराधिक लापरवाही का जीता-जागता प्रमाण बन चुका है। गड्ढों की वजह से जर्जर हो चुकी यह सड़क अब 'यमदूत' का काम कर रही है। इन दोनों जिम्मेदार संस्थाओं की मिलीभगत और अनदेखी ने क्षेत्र की जनता को मौत के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है, जिसके चलते किसी भी वक्त बड़ी घटना होने की आशंका पैदा हो गई है।

डोला तिराहा क्षेत्र से कॉलरी का भारी परिवहन गुजरता है, जिससे यह स्पष्ट है कि सड़क की बदहाली के लिए कॉलरी प्रबंधन सीधे तौर पर जिम्मेदार है, जिसकी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह सड़क को दुरुस्त रखे। वहीं क्षेत्र के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और मार्ग को यातायात योग्य बनाए रखना नगर परिषद डोला का कानूनी दायित्व है। नगर परिषद कहती है कि यह कॉलरी क्षेत्र है और कॉलरी प्रबंधन कहता है कि यह नगर परिषद की सीमा में आता है। 

भारी कोयला ट्रकों के गुजरने और गड्ढों के कारण अक्सर छोटे वाहन अनियंत्रित हो जाते हैं। स्थानीय निवासियों का डर है कि किसी भी दिन इन ट्रकों की टक्कर से कोई यात्री बस या कई दोपहिया वाहन चालक एक साथ शिकार हो सकते हैं, जिससे बड़ी जनहानि हो सकती है।

इनका कहना है।

हमारे द्वारा सड़क बनाने हेतु फंड की डिमांड मंत्री व कलेक्टर से की गई है, फंड सैंक्शन होते ही हमारे द्वारा सड़क बनवाई जाएगी, साथ ही बड़े-बड़े गड्डो को हमारे द्वारा लेबलिंग करवाई जाती है, लेकिन कॉलरी के कोयले लोड भारी ट्रक चलने से 24 घंटे में ही सड़क टूट जाती है।

*राजेश मार्को, सीएमओ डोला* 

शासकीय निर्माण में लग रहा चोरी का सामान, छात्रावास की नींव में उपयोग की जा रही अवैध रेत


अनूपपुर

जिस प्रशासन पर अवैध उत्खनन रोकने की जिम्मेदारी है, उसी प्रशासन के नाक के नीचे सरकारी भवन के निर्माण में चोरी की रेत का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। मामला फुनगा क्षेत्र का है, जहाँ गोडारू नदी को माफियाओं ने चारागाह बना लिया है। सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि इस अवैध रेत का उपयोग किसी निजी मकान में नहीं, बल्कि प्यारी क्रमांक-1 में बन रहे कस्तूरबा गांधी छात्रावास में किया जा रहा है।

पयारी क्रमांक-1 में निर्माणाधीन कस्तूरबा गांधी छात्रावास के ठेकेदार द्वारा सरकारी राजस्व (रॉयल्टी) की चोरी की जा रही है। नियमानुसार, सरकारी निर्माण कार्यों में वैध खदान की रॉयल्टी वाली रेत लगनी चाहिए, लेकिन मुनाफे के लालच में ठेकेदार गोडारू नदी के प्यारी, देखल और अमलाई घाटों से रात के अंधेरे में अवैध उत्खनन करवा रहा है। सवाल उठता है कि क्या संबंधित इंजीनियर और अधिकारियों को इस "काले खेल" की जानकारी नहीं है, या सब कुछ मिलीभगत से चल रहा है।

ग्रामीणों के अनुसार, गोहरारू नदी में  मशीनें और ट्रैक्टर-ट्रॉली दिन-रात गरज रहे हैं। नदी का प्राकृतिक स्वरूप पूरी तरह नष्ट किया जा रहा है। फुनगा पुलिस की गश्त इन रास्तों पर नदारद रहती है और खनिज विभाग शिकायत के बाद भी मौके पर नहीं पहुँचता। ग्रामीणों का आरोप है कि यह चुप्पी इशारा करती है कि माफियाओं के तार बहुत ऊपर तक जुड़े हैं।

कस्तूरबा गांधी छात्रावास के निर्माण में लग रही रेत की रॉयल्टी रसीद (TP) की जांच अब तक क्यों नहीं की गई। जब पयारी, देखल और अमलाई में खुलेआम जेसीबी चल रही है, तो खनिज विभाग ने अब तक क्यों नहीं की। सरकारी निर्माण में अवैध सामग्री का उपयोग होने पर निर्माण एजेंसी/ठेकेदार पर कार्यवाही कब होगी।

भारतीय मानव अधिकार सहकार ट्रस्ट के जिला अध्यक्ष ने 995 किलो दूर पहुँचकर पीड़िता की मदद


शहडोल

भारतीय मानव अधिकार सहकार ट्रस्ट के जिला अध्यक्ष रामनारायण मिश्र ने पीड़ित आदिवासी महिला की मदद कर मानवता की मिसाल पेश की है। मानव अधिकार के जिला अध्यक्ष ने जानकारी देते हुए बताया एक बार फिर से  दिल्ली आना हुआ उन्होंने बताया हमारे ग्रह क्षेत्र गोहपारू शहडोल के बगल के गांव धोंनहा की आदिवासी समाज की सीधी-साधी महिला संतोषी सिंह जिनका बड़ा बेटा पुणे में काम करने गया था, जहां वह काम कर रहा था, उसी कंपनी से उसका मोबाइल फ़ोन चोरी हो गया, जिसे कोई अज्ञात व्यक्ति उपयोग करने लगा था, उसने इनके मोबाइल सिम से किसी के खाते फ्रॉड कर43 लाख रु की राशि आहरण कर ली थीं, पीड़ित व्यक्तियो ने थाना सेक्टर 20 नोएडा दिल्ली में पुलिस प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जांच के दौरान थाना नोएडा ने पाया कि जिस धोखाधड़ी में उक्त सिम का उपयोग हो रहा है वह हमारे गांव की आदिवासी महिला संतोषी सिंह का नंबर था, जिन्हें किसी प्रकार की इस घटना के संबंध में कोई जानकारी भी नहीं थी, थाना गोहपारू के नोटिस के माध्यम से पीड़ित आदिवासी महिला को दिल्ली नोएडा आने की हिदायत दी गई, जिन्हे लेकर मेरा दिल्ली नोएडा थाना सेक्टर 20 आकर पीड़िता की मदद की, ताकि पीड़ित निर्दोष महिला ऐसे संगीन अपराध से बच सके, मानव अधिकार के जिला अध्यक्ष ने समस्त नागरिक से अपील की है की सभी नागरिक जन सावधानी पूर्वक अपने मोबाइल का उपयोग करे और इस तरह के हादसों के शिकार होने से बचे, इसके पहले भी रामनारायण मिश्रा ने 2000 किलोमीटर दूर पहुंचकर बेंगलुरु में भी एक पीड़ित आदिवासी की मदद कर समाज को सहयोग करने का संदेश दिया था, एक बार फिर से अपने निवास से 995 किलोमीटर दूर पहुंचकर जिला अध्यक्ष ने मानवता की अनुपम मिसाल पेस की है समाज सदा ऐसे समाजसेवियों का ऋणी रहेगा।

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